केंद्र का संक्षिप्त इतिहास
रूसी अध्ययन केंद्र (सीआरएस) भारत में रूसी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के अध्ययन के लिए जाना जाता है।
इस केंद्र को मूल रूप से 'रूसी अध्ययन संस्थान' के रूप में जाना जाता था, जिसका उद्घाटन 14 नवंबर 1965 को श्री एम सी चगला ने किया था एवं उसके बाद , भारत के तत्कालीन मंत्री एवं प्रोफेसर वी.पी.येलुटीन उसके बाद आईआईटी, नई दिल्ली में सोवियत संघ के उच्च एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री के दवारा हुआ था| इस केंद्र की स्थापना भारत एवं रुसी सरकार के बीच बढती हुयी बातचीत के चलते रूसी भाषा के विशेषज्ञों की बढ़ती हुयी मांग को पूरा करने के लिए की गयी थी | इस संस्थान की स्थापना श्री एम सी चागला ने किया था, वह वर्णित करते हैं की "इस देश में शिक्षा के इतिहास में एक ऐतिहासिक स्थल है |
'रूसी अध्ययन संस्थान' ने अपना वर्तमान नाम 'सेंटर ऑफ रशियन स्टडीज’ 1969 में नवगठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में शामिल होने के समय. हासिल किया। रूसी अध्ययन केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय का सबसे पुराना केंद्र है। लगभग पांच दशक पहले इसकी स्थापना के बाद से ही यह भारत में रूसी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति सीखने के लिए अग्रणी केन्द्र रहा है |
सीआरएस पूर्व छात्र
यह केंद्र अपने स्थापना से ही दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों के विकास में की एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। इस केंद्र ने बड़ी संख्या में योग्य दो भाषियों एवं अनुवादकों का उत्पादन किया है जो अभी भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रालयों में कार्यरत हैं, जिसमें विदेश मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय भी शामिल हैं। इस केंद्र के पूर्व छात्र भी विभिन्न सार्वजनिक एवं निजी उद्यमों में काम कर रहे हैं एवं उसमे से कईयो ने मास्को, सेंट पीटर्सबर्ग एवं सीआईएस देशों के अन्य शहरों में कार्यालयों के साथ-साथ अपनी खुद की व्यावसायों की स्थापना की है | इस केंद्र का अधिक महत्वपूर्ण योगदान भारत में रूसी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति की शिक्षा को बढ़ावा देने में है। कई पूर्व छात्र पूरे देश में कई विश्वविद्यालयों, कॉलेजों एवं विद्यालयों में रूसी शिक्षणकार्य में व्यस्त हैं।
केंद्र की गतिविधियां
यह केंद्र नियमित रूप से सामयिक विषयों पर अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार एवं संगोष्टी का आयोजन करता है। केंद्र समय-समय पर भारतीय व्याख्यान भी आयोजित करती है एवं विदेशी शिक्षाविदों का दौरा भी करती है।
यह केंद्र प्रतिवर्ष एक पत्रिका 'CRITIC' प्रकाशित करता है जिसमें भारतीय एवं रूसी भाषाविदों द्वारा शोध पत्र, साक्षात्कार, पुस्तक समीक्षा आदि शामिल होता है |
इस केंद्र में मुख्य केन्द्रीय पुस्तकालय के अलावा, जो लगभग 70,000 पुस्तकें रखता है, केंद्र अपनी स्वयं की इन-हाउस पुस्तकालय रखता है, जिसमें लगभग 2000 किताबें, फ़िल्में एवं ऑडियो सामग्री हैं।
यहाँ के छात्रों को रूसी फिल्मों को नियमित रूप से दिखाने के लिए एक फिल्म क्लब 'रकी' (रस्केयो किनो) का भी गठन किया गया है। यह क्लब छात्रों में रूसी संस्कृति,जीवन शैली एवं भाषा के माहौल को बनाने में मदद एवं मान्यता देता है।
इस केंद्र ने हाल ही में एक कस्टमाइज्ड कंप्यूटर लैब को रूसी भाषा सीखने के सॉफ्टवेयर से लैस किया है जो कंप्यूटर असिस्टेड लँग्वेज लर्निंग (कॉल) के आधार पर अभिनव शिक्षण पद्धति में सहायता करता है।
केंद्र ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा के साथ एक स्मार्ट टीवी की भी सुविधा प्रदान किया है|
यह केंद्र नियमित रूप से विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करता है, जैसे बहस, प्रश्नोत्तरी, निबंध प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, कविता पाठ, नाटक, एवं गीत आदि।
यह केंद्र किसी भी अकादमिक मुद्दे को संबोधित करने के लिए हर सत्र के पाठ्यक्रम में विषय सलाहकारों को नियुक्त करता है |
यह रूसी अध्ययन केंद्र 3 साल के स्नातक एवं 2 साल के स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के साथ-साथ एम.फिल एवं पीएचडी अनुसंधान कार्यक्रम भी प्रदान करता है। पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी के लिए कृपया यहां क्लिक करें।
यह केंद्र रूसी भाषा, साहित्य, संस्कृति एवं अनुवाद अध्ययन के क्षेत्र में विशिष्ट एवं साथ ही अंतर अनुशासनिक अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देता है।इस केंद्र को रूसी भाषा एवं भाषाविज्ञान के विभिन्न पहलुओं, 19 वीं शताब्दी, 20 वीं शताब्दी, साथ ही समकालीन रूसी साहित्य में विशेषज्ञता प्राप्त है। यह केंद्र भाषा शिक्षण, अनुवाद एवं संस्कृति अध्ययन, फिल्म एवं मीडिया अध्ययन एवं लोकप्रिय संस्कृति की पद्धति में विशेषज्ञता प्रदान करता है। इसके विपरीत केंद्र तुलनात्मक अध्ययनों के लिए अनुसंधान भी प्रदान करता है।