संचार एवं सूचना सेवाएं
1996 में जेएनयु ने विश्वविद्यालय के अकादमिक संकुल में सारे कैंपस को जोड़ने वाली कंप्यूटर प्रणाली की स्थापना की चेष्टा शुरू की ।इस नेटवर्क को सावधानी से नियोजित किया गया एवं सारी मुख्य इमारतों को फाइबर ऑप्टिक केबलिंग के माध्यम से जोड़कर भविष्य में किसी भी तरह के बदलावों का विकल्प खुला रखा गया। इस कार्य के परिमाण को देखते हुए यह फैसला लिया गया कि नेटवर्क की गतिविधियों की केन्द्रीय रूप से देखरेख करने के लिए एक अलग केंद्र की आवश्यकता है । इस तरह सीआईएस की स्थापना हुई |
संचारण एवं सूचना सेवा केंद्र की स्थापना फरवरी 1997 में एक स्वतंत्र केंद्र के रूप में हुई जिसकी अध्यक्षता ज्येष्ठ प्रोफेसर ने निदेशक के रूप में की ।मई 1997 तक यह जगह तैयार हो गयी थी एवं यहाँ विभिन्न विभागों से करीब आधा दर्जन हुने हुए लोगों को लेकर कार्य शुरू किया गया ।
सीआईएस ने 1997 में विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट, www.jnu.ac.in शुरू की ।
2001 में सीआईएस सूचना तकनीकी विद्यालय का भाग बन गया । सिट का मुख्य कार्य शिक्षण एवं शोध के क्षेत्र में सूचना तकनीकी का प्रयोग करना एवं यह जानना है कि सूचना के हर क्षेत्र में - जैविक, भौगोलिक, आर्थिक आदि - जानकारी के अतिरिक्त रूप से उपलब्ध होने को अकादमिक सन्दर्भ में किस प्रकार प्रभावी रूप से प्रयोग में लाया जा सकता है ।
बैंडविड्थ धीरे धीरे बढ़ रहा है । 2002 में इंटरनेट बैंडविड्थ को 2 एमबीपीएस तक बढ़ाया गया ।यह 2003 में दोगुना हो गया एवं 2004 में तिगुना हो गया । 2004 में इंट्रानेट बैंडविड्थ 1 जीबीपीएस तक बढ़ गया । जेएनयु में हमारे सिरे से एकीकृत दो अलग आईएसपी के माध्यम से 20एमबीपीएस इंटरनेट बैंडविड्थ उपलब्ध था, जिससे दोनों आईएसपी से बिना किसी परेशानी के इसका प्रयोग किया जा सके । वर्तमान में विश्वविद्यालय के पास राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन) के माध्यम से 1 जीबीपीएस की बैंडविड्थ उपलब्ध है ।
सीआईएस के पास एक फ़ायरवॉल सॉफ्टवेयर है जो जेएनयु के नेटवर्क को बाहरी हैकरों से बचाते हैं, एवं इसके अलावा उस भार को बांटते हैं जो अलग अलग फाइबरों से प्राप्त होता है, जिनमें एक एमटीएनएल फाइबर तथा दूसरा पॉवर ग्रिड फाइबर । एकीकृत जोखिम प्रबंधन प्रणाली को नेटवर्क को हैकरों से बचाने के लिए लगाया गया है जिससे कि अनावाश्यक ट्रैफिक हटता। प्राथमिकताओं को निर्धारित करके ट्रैफिक व्यवस्थित किया जाता है एवं अनचाहे वेबसाइटों को बंद किया जा सकता है ।
मेल सॉफ्टवेयर को ग्रुपवाइज 8.0 में अपग्रेड कर दिया गया है जिसमें कई अतिरिक्त खूबियाँ हैं जो अकादमिक समिति के लिए उपयोगी साबित होती है। इस नए सॉफ्टवेयर से त्वरित सन्देश भेजना, दस्तावेज़ साझा करना, लोगों द्वारा अपने निजी मेलबॉक्स को आर्काइव करना आदि मुमकिन है। इस साल के दौरान मेल सर्वर को उच्च क्षमता वाले सामान्य संग्रहण एवं सर्वर को झुण्ड में जोड़कर ज़्यादा स्थिर बनाने के लिए अतिरिक्त हार्डवेयर की व्यवस्था की जा रही है ।
अगस्त 2011 में उप कुलाधिपति ने सीआईएस में काम कर रहे तकनीकी एवं कंप्यूटर स्टाफ तथा इ गवर्नेंस एंड यूनिवर्सिटी कंप्यूटर मेंटेनेंस सेल (युसीएमसी) को मिलाकर इ गवर्नेंस एवं नेटवर्क से जुड़े कार्यों के स्वाभाविक निष्पादन के लिए संचारण एवं सूचना सेवा में बदलाव की स्वीकृति दे दी ।