पिछले 35 सालों से केंद्र ने शोध के कई क्षेत्रों में काफी महत्वपूर्ण योगदान दिया है एवं इसे स्पेनिश भाषा तथा हिस्पैनिक जगत के साहित्य, अनुवाद एवं व्याख्या, समाज, कला एवं संस्कृति से जुड़े विषयों में कई पीएचडी तथा एमफिल डिग्रियां प्राप्त हो चुकी हैं। फैकल्टी के सदस्यों ने कई परियोजनाओं पर कार्य किया है एवं भारत में हिस्पैनिक अध्ययन के विकास के साथ कार्यशील रूप से जुड़े रहे हैं । इसके लिए उनके द्वारा भारत एवं विदेशो में कई किताबों तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में कई शोध लेखों का प्रकाशन हो चुका है । (अधिक जानकारी के लिए फैकल्टी के सदस्यों के निजी वेब पेज पर जाएं)
शोध क्षेत्र
केंद्र के मुख्य शोध क्षेत्र हैं:
• स्पेनिश एवं लैटिन अमेरिकन समाज, संस्कृति एवं साहित्य
• उपनिवेश काल के बाद लैटिन अमेरिकन
• इंडो-हिस्पैनिक रिसेप्शनअध्ययन
• लिंग एवं तबके
• शिक्षण कार्य प्रणाली (इएलइ)
• अंतर्सांस्कृतिक संचारण
• प्रायोगिक भाषा विज्ञान
• कंप्यूटर सहायक भाषा ज्ञान (कॉल) एवं आईसीटी तथा भाषा ज्ञान
• व्याख्या तथा अनुवाद अध्ययन
• पुर्तगाली एवं लूसो-ब्राज़ीलियाई अध्ययन एवं संस्कृति
परियोजनाएं
केंद्र शोध एवं अनुवाद परियोजनाओं को बढ़ावा देता है एवं फैकल्टी के सदस्यों ने सफलतापूर्वक राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहभागिता से कई परियोजनाओं को पूरा किया है ।
हाल में ही समाप्त हुई कुछ परियोजनाएं हैं:
• भारतीय पाठ्यक्रम में स्पेनिश शिक्षण के "कॉल" एवं "टेल" को एकीकृत करना (2010-2011, डॉक्टर राजीव सक्सेना भारत सरकार एवं सीआईइएस, वाशिंगटन डीसी, युएसए के साथ)। शोध परियोजना ।
• भारत में स्पेनिश के विदेशी भाषा के रूप में अभिग्रहण के डिजिटल परिपेक्ष्य (2009-2011, डॉक्टर राजीव सक्सेना यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन, भारत सर्कार के सहयोग से)। शोध परियोजना।
• सान फ्रांसिस्को जेविएर - जीवन एवं साहसिक कार्य (अपराजित चट्टोपाध्याय यूनिवर्सिटी ऑफ़ नवर्रा, स्पेन के सहयोग से)। अनुवाद परियोजना।
• आधुनिक भारतीय लेखकों पर एक खंड का सम्पादन एवं प्रकाशन (प्रोफेसर अनिल के धींगरा संयुक्त रूप से प्रोफेसर रमोन बसा आई मार्टिन के साथ यूनिवर्सिटाट दे लेस बेलीअर्स एवंइंस्टिट्यूट रमोन लल, स्पेन के सहयोग से)। सम्पादन एवं प्रकाशन।
• दो स्पेनिश/कैटलन साहित्यिक खण्डों का हिंदी में अनुवाद (प्रोफेसर अनिल धींगरा संयुक्त रूप से प्रोफेसर रमोन बसा आई मार्टिन, डॉक्टर प्रभाती नौटियाल एवं डॉक्टर अलका जसपाल के साथ यूनिवर्सिटाट दे लेस बेलीअर्स एवं इंस्टिट्यूट रमोन लल, स्पेन के सहयोग से)। अनुवाद परियोजना।
इसके अलावा केंद्र की फैकल्टी ने सांस्कृतिक संबंधों की भारतीय कौंसिल, साहित्य अकादमी एवं अन्य अकादमिक संस्थानों के साथ सहभागिता की है, जिसके अंतर्गत इंडो-हिस्पैनिक विषय वस्तु तथा रिसेप्शन अध्ययन पर पुस्तकों के प्रकाशन की परियोजना शामिल है ।